QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारतीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन
QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारतीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन
भारत का वैश्विक मंच पर बढ़ता दबदबा
इस वर्ष QS रैंकिंग में 54 भारतीय विश्वविद्यालयों को स्थान मिला है, जो कि अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। 2014 में यह संख्या मात्र 11 थी, यानी 390% की वृद्धि। इस बढ़ती उपस्थिति के साथ भारत अब अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और चीन के बाद चौथा सबसे बड़ा प्रतिनिधि देश बन गया है।
शीर्ष पर IIT दिल्ली
IIT दिल्ली ने इस बार भारत की ओर से सबसे शानदार प्रदर्शन किया है। यह संस्थान 123वें स्थान पर है — जो कि पिछले वर्षों की तुलना में एक बड़ी छलांग है (2023 में 197वें और 2024 में 150वें स्थान पर था)। इसकी यह प्रगति मुख्यतः इसके शैक्षणिक प्रतिष्ठा और नियोक्ता प्रतिक्रिया में सुधार के कारण हुई है।
अन्य प्रमुख भारतीय संस्थान
विश्वविद्यालय का नाम | वैश्विक रैंक | मुख्य विशेषता |
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IIT बॉम्बे | ~149 | अनुसंधान और नियोक्ता स्कोर में मजबूती |
IISc बेंगलुरु | ~211 | उच्च संकाय-छात्र अनुपात |
IIT मद्रास | ~227 | अकादमिक प्रतिष्ठा |
मुंबई विश्वविद्यालय (MU) | 664 | लगातार दूसरी बार रैंकिंग में शामिल |
कहाँ है सुधार की ज़रूरत?
हालाँकि भारत ने प्रतिनिधित्व के मामले में अच्छा किया है, लेकिन कई क्षेत्रों में सुधार की सख्त ज़रूरत है:
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अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात में गिरावट: QS के अनुसार, 78% भारतीय संस्थानों ने इस क्षेत्र में पिछड़ते हुए स्कोर खोया है।
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फैकल्टी-स्टूडेंट अनुपात: यह एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। केवल ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी इस मापदंड में शीर्ष 350 में है।
अंतरराष्ट्रीयकरण की कमी
QS रैंकिंग में "इंटरनेशनल फैकल्टी" और "इंटरनेशनल स्टूडेंट्स" स्कोर महत्वपूर्ण होते हैं। भारतीय विश्वविद्यालयों में इन दोनों की भागीदारी अब भी बेहद सीमित है, जिससे रैंकिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भविष्य की राह
भारत के विश्वविद्यालयों को निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना होगा:
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फैकल्टी की संख्या बढ़ाना, जिससे फैकल्टी–स्टूडेंट अनुपात सुधरे।
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अंतरराष्ट्रीय छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित करना।
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रिसर्च आउटपुट और इंडस्ट्री सहयोग बढ़ाना।
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इनोवेटिव कोर्स और वैश्विक एक्सपोज़र प्रदान करना।
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